”कोरोना वायरस अब भी लोगों का नंबर वन दुश्मन – WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अगर ठोस क़दम नहीं उठाया गया तो कोरोना वायरस की महामारी बद से बदतर होती जाएगी कोरोन वायरस से संक्रमण के नए मामले बढ़ रहे हैं और इससे साबित होता है कि जिन एहतियात और उपाय की बात की जा रही है, उनका पालन नहीं किया जा रहा है ।

उत्तरी और दक्षिणी अमरीका इस महमारी की चपेट में अभी सबसे बुरी तरह से हैं । अमरीका में स्वास्थ्य विशेषज्ञों और राष्ट्रपति ट्रंप में चल रही तनातनी के बीच संक्रमण के नए मामले लगातार तेज़ी से बढ़ रहे हैं । जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डेटा के अनुसार अमरीका अभी कोरोना की मार सबसे ज़्यादा झेल रहा है । यहां अब तक 33 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और एक लाख 35 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है ।

”कोरोना वायरस अब भी लोगों का नंबर वन दुश्मन है लेकिन दुनिया भर की कई सरकारें इसे लेकर जो क़दम उठा रही हैं, उससे ये आभास नहीं होता है कि कोरोना को ये गंभीर ख़तरे की तरह नहीं ले रही हैं.”

सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धोना और मास्क पहनना इस महामारी से बचने के कारगर तरीक़े हैं और इन्हें गंभीरता से लिए जाने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में ऐसा लगता नहीं है कि पहले की तरह सब कुछ सामान्य हो जाएगा।”अगर बुनियादी चीज़ों का पालन नहीं किया गया तो एक ही रास्ता है कि कोरोना थमेगा नहीं और वो बढ़ता ही जाएगा. यह बद से बदतर होता जाएगा.”

WHO के आपातकालीन निदेशक माइक रायन ने कहा कि अमरीका में लॉकडाउन में ढील और कुछ इलाक़ों को खोलने से संक्रमण के और तेज़ी से फैलने का डर है।

डॉ रायन ने कहा कि लॉकडाउन से भारी आर्थिक नुक़सान हो रहा है लेकिन कुछ ख़ास जगहों पर लॉकडाउन संक्रमण रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है।

उन्होंने दुनिया की सरकारों से आग्रह किया कि वे स्पष्ट और मज़बूत रणनीति अपनाएं। इसकी गंभीरता को समझें और गाइडलाइन्स का पालन करें।

”हमें वायरस के साथ कैसे जीना है और इसे सीखना होगा. यह उम्मीद करना कि वायरस को ख़त्म किया जा सकता है या कुछ महीनों में प्रभावी वैक्सीन तैयार हो जाएगी, यह सच नहीं है।

अभी तक पता नहीं है कि कोरोना वायरस से ठीक होने वालों में इम्युनिटी बन रही या नहीं और अगर बन भी रही है तो ये नहीं पता है कि कब तक प्रभावी रहेगी.

वैज्ञानिकों ने 96 लोगों पर अध्ययन किया कि कैसे शरीर एंटीबॉडीज के ज़रिए स्वाभाविक रूप से कोरोना का सामना करता है और यह कितने दिनों तक टिकता है। मतलब अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कोरोना पीड़ित मरीज़ ठीक होने के बाद कब तक ठीक रह सकते हैं। इस स्टडी में शामिल सभी लोगों में मिले एंटीबॉडीज कोरोना वायरस को रोक सकते थे लेकिन तीन महीने की अवधि में इनका स्तर कम होने लगा था।