पद्मानभस्वामी मंदिर का आख़िरी दरवाज़ा खुलेगा या नहीं रहस्य बरकरार?

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर मामला को लेकर एक प्रशासनिक समिति बनाए जाने की बात कही गई है। तब तक अस्थाई तौर पर कोर्ट की कमेटी और जिला न्यायधीश इसकी देखरेख करेंगे। मंदिर के आखिरी कमरे यानी वॉल्ट बी को खोले जाने को लेकर कुछ नहीं कहा। इसे खुले या ना खोले जाने का फैसला प्रशासनिक समिति पर छोड़ दिया गया है।

 

ये मंदिर केरल की राजधानी तिरूवनंतपुरम में है और आज़ादी से पहले इस पर त्रावणकोर के राजा का अधिकार था।

भारत की आज़ादी के बाद जब त्रावणकोर और कोचिन रियासतों को मिलाया गया तो दोनों के बीच मंदिर को लेकर समझौता हुआ।

उसके हिसाब से इस मंदिर के प्रशासन का अधिकार मिला त्रावणकोर के आख़िरी शासक को, जिनका नाम था चिथिरा थिरूनल।

जब 1991 में उनकी मृत्यु हुई तो उनके भाई उत्तरादम वर्मा को इसकी कस्टडी मिली। साल 2007 में उन्होंने दावा किया कि इस मंदिर का ख़ज़ाना उनके शाही परिवार की संपत्ति है।

इसके ख़िलाफ़ कई लोगों ने कोर्ट में मामला दायर किया. एक निचली अदालत ने मंदिर के कमरों को खोलने पर रोक लगा दी थी।

लेकिन फिर 2011 में केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वो इस मंदिर के नियंत्रण के लिए एक ट्रस्ट बनाए।

उसी साल शाही परिवार इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने इस फ़ैसले पर स्टे लगा दिया और कहा कि इस मंदिर के कमरों में जो मिलता है उसकी लिस्ट बनाई जाए।

तब इस मंदिर के कमरों को खोलने का सिलसिला शुरू हुआ। इस मंदिर में छह कमरे हैं- ए से लेकर एफ़ तक।इनमें से ई और एफ़ वॉल्ट को अक्सर खोला जाता है क्योंकि मंदिर के अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन वहीं रखे जाते हैं। सी और डी में सोने और चांदी के ज़ेवर रखे जाते हैं जिन्हें किसी ख़ास दिन पर इस्तेमाल किया जाता है।

बाक़ी बचे ए और बी. इस ए वॉल्ट को जब खोला गया तो पता चला कि इसमें लगभग 1 लाख करोड़ का ख़ज़ाना है. इसी वॉल्ट में हिंदुओं में पूजे जाने वाले महाविष्णु की साढ़े तीन फीट की एक सोने की मूर्ति मिली थी, जो क़ीमती हीरों से जड़ी थी. एक 18 फुट लंबी सोने की चेन भी. हीरे, रूबी और क़ीमती पत्थरों के बोरे निकले।

मंदिर में छह कमरे हैं- ए से लेकर एफ़ तक। इनमें से ई और एफ़ वॉल्ट को अक्सर खोला जाता है क्योंकि मंदिर के अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तन वहीं रखे जाते हैं।

सी और डी में सोने और चांदी के ज़ेवर रखे जाते हैं जिन्हें किसी ख़ास दिन पर इस्तेमाल किया जाता है।

बाक़ी बचे ए और बी. इस ए वॉल्ट को जब खोला गया तो पता चला कि इसमें लगभग 1 लाख करोड़ का ख़ज़ाना है. इसी वॉल्ट में हिंदुओं में पूजे जाने वाले महाविष्णु की साढ़े तीन फीट की एक सोने की मूर्ति मिली थी, जो क़ीमती हीरों से जड़ी थी. एक 18 फुट लंबी सोने की चेन भी. हीरे, रूबी और क़ीमती पत्थरों के बोरे निकले।

अब बात आती है वॉल्ट बी की. माना जाता है कि इस अकेले कमरे में ही बाक़ी सब कमरों से ज़्यादा ख़ज़ाना है. लेकिन कितना वो किसी को नहीं पता क्योंकि ये अभी तक खोला नहीं जा सका है।

. माना जाता है कि इस अकेले कमरे में ही बाक़ी सब कमरों से ज़्यादा ख़ज़ाना है। लेकिन कितना वो किसी को नहीं पता क्योंकि ये अभी तक खोला नहीं जा सका है।