दिल्ली में रैन बसेरा वे लोग रहते हैं जिनके लिए कोई आसरा नहीं। इनका कोई नहीं। इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो काफी बूढ़े हो चुके हैं या फिर विकलांग है। कोई काम नहीं कर सकते। कोरोनावायरस की महामारी के चलते इन रैन बसेरों में रहने वाले लोगों की संख्या 20 फ़ीसदी कर दी गई थी। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में 9 सदस्य की टीम का गठन किया गया था, जिसमें राज्य सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भी शामिल किया गया था।
यही समिति रैन बसेरों में रहने वालों के लिए भोजन का भी इंतजाम करती थी। लेकिन कुछ समय से यहां पर रहने वाले लोगों को खाना मिलना बंद हो गया था। एक तो गर्मी की मार ऊपर से काम नहीं और भूख भी इन लोगों को सता रही थी। वहीं के लिए खुद को करोणा से बचाना भी एक बड़ी चुनौती है। दिल्ली में उद्योग व्यवसाय प्रतिष्ठान पूरी तरह से खुले नहीं है।
भिखारियों को भीख भी नहीं मिल रही ।
दिल्ली के गुरुद्वारे इन बेसहारों के लिए सहारा बन रहे हैं। लगभग सभी गुरुद्वारों से इन लोगों के लिए लंगर आ रहा है जो इनके जीने का सहारा है।
अक्कसर यह लोग धार्मिक स्थलों का रुख करते हैं ताकि खाने के लिए मिल सके। बहुत सारी महिलाएं और बच्चे भी ऐसे हैं जो कूड़ा चुन कर अपना गुजारा करते रहे। इनके पास भी सर छुपाने को छत नहीं। आम दिनों में मजदूरी कर कमा लेते थे और खाना भी खा लेते थे। मगर अब करोणा की महामारी के दौरान उनके सामने भी संकट पैदा हो गया है। जानकारी मिली है कि दिल्ली सरकार एक बार फिर से बेघरों के लिए भोजन उपलब्ध करवाने की व्यवस्था कर रही है।