मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से पंजाब के आर्थिक संकट को लेकर हाल ही में प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख सरकारी कर्मचारियों को झटका दिया था। उन्होंने अपने आदेशों में स्पष्ट कहा था कि क्योंकि कोरोणा का दौर है और सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है। इसलिए कर्मचारियों को 500 के स्थान पर ढाई सौ रुपए मोबाइल बता दिया जाएगा। इसी तरह जिन्हें 300 रुपए भत्ता दिया जा रहा है उनका भी भत्ता आधा कर दिया गया था। लेकिन सरकार का ध्यान शायद अपने विधायकों की तरफ नहीं गया जिन्हें पंद्रह 15000 रुपए मोबाइल भता दिया जा रहा है ।
एक सवाल सबसे अहम है जिसमें यह कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा किआधुनिकता के इस दौर में जब तमाम मोबाइल कंपनियां अनलिमिटेड डाटा दे रही हैं तो फिर विधायकों को आखिर 15-15000 रुपए मोबाइल भता सरकार की ओर से क्यों दिया जा रहा है।
इस संबंध में प्रोफेसर लक्ष्मीकांता चावला का कहना है कि सरकार अपने विधायकों पर तो मेहरबान है । कर्मचारियों को ए बी सी कैटेगरी के तहत उनका मिलने वाला मोबाइल भत्ता आधा कर दिया गया है। जबकि विधायकों को पहले की तरह 15000 मोबाइल भता दिया जा रहा है। वही जबमुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार सत्ता में आई थी तो उन्होंने हर एक कर्मचारी का दो सो 200 रुपए काटना शुरू किया थ भले ही कोई कर्मचारी कांट्रेक्ट पर ही काम क्यों नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि छोटे कर्मचारियों को तंग करने के बजाय सरकार को पूर्व विधायकों व सांसदों की पेंशन में कटौती करनी चाहिए जो एक से अधिक पेंशन ले रहे हैं।